खूबसूरत मोहब्बत पार्ट-1
खूबसूरत मोहब्बत पार्ट-1
वक्रतुंड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभ!!
निर्विघ्नम कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा!!!!
🙏🙏🙏🙏
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"चाहत की कोई हद नहीं होती,...
सारी उम्र बीत जाए ,तो भी मोहब्बत कभी कम नहीं होती।।।
ठीक यही हुआ नेहजीत की मोहब्बत के साथ।
दोनों ने इतनी परीक्षाएं दी फिर भी दोनों का प्यार कम नहीं हुआ।।।
नेहजीत ने अपनी मोहब्बत ताउम्र निभाई,
दुनियां को भी प्यार की परिभाषा सिखाई।
दोनों हर बार एक दूसरे के दर्द के हमदर्द बन गए,
कुछ इस तरह जुड़े कि एक दूजे के दिल की धड़कन बन गए।
एक बनें चाँद तो एक चांदनी बन गए,
सांसे मिली एक साथ और हमसफर बन गए ।
लगे न दोनों को दुनियां की नजर,
दोनों टूट के चाहें एक दूजे को इस कदर,
हरदम हरपल रहें हर गमों से बेखबर।
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
(नेहजीत)
💓💓💓
आर्य का प्यार एकतरफा भले ही था लेकिन अत्यंत पवित्र था.....
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आर्य ने किया बेइंतहां प्यार कुछ इस कदर,
दे दी प्यार की एक नई परिभाषा ,
जो कि एक भक्त और भगवान के प्रेम की तरह नि:श्चल....
सभी को था एहसास की आर्य के साथ गलत हो गया यार,
लेकिन क्या सब कुछ पा लेना ही है सच्चा प्यार?
❤️❤️❤️❤️❤️
(आर्य)
"नेहा रुक जा .....एकबार मेरी बात तो सुन,,,,," तन्वी उसके पीछे पीछे चलते हुए बोले जा रही थी।
"नहीं दीदी प्लीज आप जाये यहाँ से मुझे अकेला छोड़ दो प्लीज" ये बोल कर नेहा ने अपना दरवाजा बंद कर लिया।
उधर तन्वी ने अपना सर पकड़ लिया और मन ही मन बोली......प्लीज गॉड कुछ तो करो ......अपनी बहन को और ऐसे नही देख सकती हूँ!"
उधर नेहा जाकर बेड पर लेट गई और अपने अतीत के बारे में सोचकर अपने मन में एक फैसला कर लिया।
नेहा ने उठकर अपनी अलमारी खोली,,,,, उसमे से एक बॉक्स निकाला पहले तो नेहा ने उस बॉक्स पर प्यार से हाथ फेरा फिर जोर से चिल्ला कर बोली "किसी को नहीं छोडूंगी मैं एक एक से बदला लूंगी......तो तैयार हो जाओ मिस्टर अभिजीत सिंह ठाकुर।"
"जो कभी न हुआ अब वो काम देखोगे
तुम अपने हसर का अंजाम देखोगे
बहुत सहा हमने हर गम रो रोकर
अब मेरा हर सितम सरेआम देखोगे!!"
हाथ मुँह धोकर नेहा नीचे आई और अपना हैंडबैग उठा कर बाहर निकल गई। पीछे से तन्वी बोलती रह गई लेकिन नेहा "बाय दीदी इस बार जल्दी आउंगी" कहकर बाहर निकल गई।
घर से बाहर निकल कर नेहा ने कैब बुक की और ड्राइवर को कृष्णा टावर चल ने के लिए बोला!!
ड्राइवर ने भी स्पीड बढ़ा दी और कहे अड्रेस पर लाकर कार रोक दी।
नेहा ने ड्राइवर को पैसे दिए और जल्दी से चलते हुए टावर के अंदर चली गई।
अंदर जाकर नेहा ने किसी को फ़ोन लगाया और बात करके फ़ोन बैग में रख लिया।
नेहा अपने मन में बोली "अब देखती हूँ तुझे अभिजीत ठाकुर अगर तुझे तेरी असली औकात नही दिखा दी तो मेरा नाम भी नेहा यादव नहीं!!"
उधर से एक आदमी आकर नेहा को सलाम ठोकता है और बोला- आपका काम हो गया है मैडम!
नेहा ने भी उसको 2000 का गुलाबी नोट थमा दिया और वो आदमी अपने पैसे लेकर वहां से चला गया।
उसके जाने के बाद नेहा की आंख से बूँद छलक आई। नेहा अपनी आँसू की बूँद को गिरने नहीं देती और उसे अपने हाथ में लेकर बोली,,,,,,नही मेरे आंसू ऐसे ही बहने के लिए नहीं है। बहुत हो गया अब और नहीं अब बस मैं अपनी मंजिल के करीब हूँ। अब तो मैं वो करके रहूंगी जिसके लिए इतने सालों से आग में तप रही हूँ। क्या गलती थी उनकी, क्या गलती थी मेरी,क्या इस दुनिया में जीने वाले हर सच्चे और अच्छे इंसान को जीने के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करना पड़ता है। अगर ऐसा है तो मुझे नहीं बनना अच्छा इंसान और कुछ खोने की हिम्मत अब मुझमें नहीं है। अब दुनिया मेरा दूसरा पहलु देखेगी।
नेहा के सामने अपना अतीत किसी फिल्म की तरह चलने लगा और उसके चेहरे पे कभी ख़ुशी, कभी ग़ुस्से तो कभी दर्द के भाव उभरने लगे।
कितनी खुश थी मैं अपनी उस छोटी सी दुनिया में, मेरा भी अपना छोटा सा परिवार था। सब कुछ छीन लिया भगवान् ने, भगवान् जी मेरी इतनी सी ख़ुशी भी बर्दाश्त नहीं हुई क्या आपसे??? क्यों आखिर क्यों किया आपने उनके साथ ऐसा? उनके जगह मुझे चुन लेते आपको तो सिर्फ दर्द देने से मतलब था ना मैं आपका दिया हर दर्द ख़ुशी ख़ुशी सहन कर लेती लेकिन आपने तो ऐसा दर्द दिया जिसकी कोई दवा भी नहीं है इस दुनिया में। क्या बिगाड़ा था उन्होंने सबका!!!!!!!
नेहा वही रोते हुए अपने घुटनों के बल बैठ गई। कुछ देर बाद जब उसके आंसू सूख गए तो वो अपने आप को संभालते हुए उठ कर खड़ी हो गई। फिर अपने दोनों हाथों की मुट्ठियां कस लेती है और जलती हुई आँखों से सामने बने केबिन को देखते हुए बोली- अपने हर एक आंसू का हिसाब लुंगी,, और हर एक इंसान से लुंगी ये तो बस शुरुआत है किसी को नहीं बख्शूंगी मेरे लिए अब दर्द का बदला सिर्फ दर्द है। बेहद्द दर्द, हर एक उस दर्द से गुजरोगे तुम सब जिससे मैं इतने सालों से गुजरती आयी हूँ।
यही तो रीत है इस दुनिया की, इतिहास खुद को दोहराता है।
हाँ!!!!!! इतिहास फिर से खुदको दोहरायेगा, लेकिन इस बार बाजी मैं चलूंगी और तमाशा ये दुनिया देखेगी!
बस अब एक और पल मुझसे इंतज़ार नही होगा। इस जालिम दुनिया को भी तो पता चलना चाहिए भला इंसान सिर्फ तब तक भला बना रहता है जब तक उसे ये दुनिया भली लगती है। लेकिन अगर वो भला इंसान जब बुरा बन जाता है तो उससे बुरा फिर इस दुनिया में कोई नहीं हो सकता।
उसके कानों में कुछ शब्द गूंजते है- "बच्चे जिससे तुम अपना बदला लेने जा रही हो वो बदला कभी पूरा नही हो पायेगा, तुम्हारी किस्मत में कुछ और ही लिखा है नियति ने।" ये शब्द उसे आते वक़्त रास्ते में एक साधू महात्मा ने कहे थे।
नेहा उसको याद करके हँसते हुए चीख पड़ी- बदल दूंगी मैं, अपनी किस्मत बदल दूंगी, अपनी नियति के लिखे लेख को बदल दूंगी,,,,,,,अपनी किस्मत के हर एक उस पन्ने को फाड़ दूँगी जो मेरे लक्ष्य को प्राप्त करने में बाधा बनेगा। ये वादा है मेरा अपने आप से, अपनी किस्मत से, इस दुनिया के हर एक इंसान से और अपने दुश्मनों से। ये कहानी बदले से शुरू होकर बर्बादी पर खत्म होगी। सब कुछ राख कर दूंगी जला कर। कभी कभी भगवान को भी न्याय करने के लिए अपने लिखे लेख बदलने ही पड़ते हैं,,,,,,,,मेरी किस्मत का हर पन्ना अब मैं अपने मनचाहे रंग से रंग दूंगी.....अब मेरी किस्मत में सिर्फ वो लिखा जायेगा को मैं चाहूंगी। खुदा को भी पछतावा होगा अपने फैसले पर। एक दिन वो भगवान भी रोएगा मेरे साथ किए अन्याय पर.....!!
वही दूसरी तरफ : -
17 मंजिल की एक आसमान छूती बिल्डिंग पर एक लड़का उम्र लगभग 23-24 साल.......हल्का बियर्ड , गोरा रंग, 5'7 हाइट, ब्लैक कलर का 2 पीस सूट, ब्लैक गॉगल्स पहने खड़ा हुआ था।
तभी एक आदमी उसके पास आयाऔर उसके कान में कुछ बोला जिसे सुनकर वो लड़का चौंक गया और चिल्लाते हुए बोला- "उस वक़्त तुम कहा थे????....!!!
किस बात के पैसे देता हूं????????? किसने किया ये सब और कैसे कर सकता है कोई इतनी टाइट सिक्योरिटी के बावजूद??"
वो आदमी हिम्मत करके बोला "सर गलती हमारी नही थी। उस वक्त हमारा ब्रेक टाइम था तो भला हम कैसे पता किसने किया और कैसे किया.......!"
अभिजीत उसका कॉलर पकड़ते हुए "मुझे सिखाओगे तुम?? मुझसे होशियारी?? ब्रेक टाइम के गार्ड्स कहां थे उस वक्त? अगर काम सही से नही होता है तो आज ही सब लोग रिजाइन लेटर दे देना, मैं अब तक की सैलरी दे दूंगा लेकिन ऐसी लापरवाही मेरी बर्दास्त से बाहर है..... समझे तुम???"
वहा खड़ा आदमी उसके गुस्से को देख कर डर गया और डरते हुए बोला "मालिक वो उस वक़्त सब .....वो सब ....
फिर वो लड़का चिल्लाते हुए बोलता है- क्या सब??????....."
वो आदमी डरते हुए बोला- मालिक वो सब लोग तब पास के रेस्टोरेंट में पार्टी करने गए थे सिद्धार्थ सर् ने अपनी इंगेजमेंट की ट्रीट दी थी .......
वो लड़का उसपर चिल्लाते हुए बोला- दफा हो जाओ यहाँ से अभी इसी वक़्त इससे पहले कि मैं तुम्हारी जान ले लूं।
वो आदमी तुरन्त वहाँ से चला गया।
उस आदमी के जाने के बाद उस लड़के ने किसी को कॉल किया और आज दोपहर की उसके ऑफिस की सीसीटीवी फोटोज निकलने के लिए कहा।
सामने से जवाब आया "सर सीसीटीवी कल ही खराब हो गए थे और आज उनको ठीक करवाने के लिए मैकेनिक बुलाया था जो टाइम से नही पहुंच पाया तो मैने ही बोल दिया कि कल ठीक कर देगा क्योंकि वैसे भी एक दिन कैमरा नही लगेगा तो क्या ही जाता। इस वक्त इतना खास जरूरी भी नही है सीसीटीवी।"
वो लड़का पहले से ही गुस्से में था ऊपर से इतनी बड़ी लापरवाही भरी बात सुन कर उसका पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उसने फोन पर ही चीखते हुए कहा "इतनी बड़ी कंपनी के सीसीटीवी खराब हो गए और तुम्हारी इतनी बड़ी लापरवाही?? तुम होते कौन हो ये फैसला करने वाले कि सीसीटीवी कैमरा कब जरूरी है और कब नही? आज,,,,,,अभी,,,,,,इसी वक्त मैं तुम्हे इसके मैनेजर के पद से हटा रहा हूं। अपना रेजग्नेशन लेटर साइन करके ऑफिस में रख जाना।"
उसने इतना बोल कर फोन काट दिया और सामने वाला "सर एक बार मेरी बात तो सुन लो....!" बोलता ही रह गया!
वो लड़का खुद में ही बोला तुम जो कोई भी हो "अभिजीत सिंह ठाकुर" से दुश्मनी लेना तुम्हे बहुत महंगा पड़ेगा,,,,,,,और अभिजीत सिंह ठाकुर को हराना इतना आसान नहीं है।
आज तक जिसने भी मुझ पे अपना जोर आजमाया है उसका सब कुछ बर्बाद हो गया है तुम भी अपनी ताकत आजमा लो क्यूंकि एक दिन खोना तो तुम्हे भी है अपना सब कुछ।
अगर एक बार मेरे हत्थे चढ़ गये तुम जो कोई भी हो तो फिर भगवान् भी तुम्हे मुझसे बचा नही पायेगा। क्यूंकि अभिजीत सिंह ठाकुर अपने हर एक छोटे बडे दुश्मन को सिर्फ एक ही नाम से जानता है- दुश्मन!!!!! और मेरा हर एक दुश्मन मुझे एक ही नाम से जानता है- मौत और बर्बादी!!!!
आज तक सब कुछ खोया ही तो है मैने, अब सुकून की जिंदगी भी नही जीते देख सकते......लेकिन शायद तुमको अंदाजा नहीं है मुझे मेरी लाइफ में शांति कितनी पसंद है,,,,,,,, जो भी मेरी शांति भरी जिंदगी में शोर मचाएगा उसकी जुबान ही खींच लेता हूं मैं।
अभिजीत ने गाड़ी निकाली और अपने ऑफिस की तरफ चल पड़ा।
क्रमश:..........🐬🌞
हां मैं जानती हूं मेरी लेखन शैली बहुत बेकार है लेकिन पहली स्टोरी समझ कर माफ कर दें।🙏 मैं अभी लिखना सीख रही हूं।😊 बस अपना साथ यूं ही बनाए रखें।🐬🌞
रतन कुमार
26-Nov-2021 06:12 PM
कहानी का स्वरूप बहुत ही सुंदर प्रस्तुत किया है आप ने कहने ट्रेलर में ही अपने अनगिनत सवालों से ही दिमाग की बत्ती जला दी है जानना तो बनता है आखिर क्या कहानी है
Reply
Fiza Tanvi
20-Nov-2021 01:11 PM
Waah
Reply
Sana khan
28-Aug-2021 06:14 PM
Nice
Reply